दिल्ली का UER-2 (अर्बन एक्सटेंशन रोड-2) पर स्थित बक्करवाला-मुंडका टोल प्लाजा इन दिनों ग्रामीणों और सरकार के बीच टकराव का बड़ा मुद्दा बन गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उनकी ज़मीन इस हाईवे प्रोजेक्ट में ली गई है बाकि बची हुई जमीन पर खेती के कारण या आस पास के लोगों को रोजाना के कामों के लिए रोज इस हइग्वे से आना जाना पड़ता हैं, इसलिए स्थानीय निवासियों को टोल टैक्स से छूट मिलनी चाहिए। ग्रामीणों का तर्क है कि रोज़ाना आने-जाने वाले निजी वाहनों पर अतिरिक्त बोझ डालना अन्यायपूर्ण है।
वहीं, केंद्र सरकार का रुख साफ है कि देश में किसी भी क्षेत्र को टोल टैक्स से छूट नहीं दी जाती, और दिल्ली भी इसका अपवाद नहीं हो सकती। यही कारण है कि बक्करवाला-मुंडका टोल विवाद अब और गहराता जा रहा है। लोग आंदोलन को तेज़ करने की तैयारी में हैं, जबकि सरकार अपनी नीति पर अड़ी हुई है। इस टकराव से साफ है कि आने वाले दिनों में यह मामला और गरमा सकता है। हाल ही के समय मे लोकल एरिया के लोगों की id देख कर के फ्री मे जाने दिया जा रहा हैं।
ग्रामीणों में बढ़ी नाराज़गी
केंद्र सरकार के रुख से ग्रामीणों की नाराज़गी और तेज़ हो गई है। ग्रामीण नेता सुरेंद्र सोलंकी का कहना है कि यह फैसला पूरी तरह अन्यायपूर्ण है और सरकार गांव वालों की पीड़ा को समझने के बजाय नियमों की आड़ में मुद्दे को टाल रही है। वहीं, रामकुमार सोलंकी ने सुझाव दिया कि जैसे राष्ट्रीय राजमार्गों पर सर्विस रोड बनाई जाती है, वैसे ही UER-2 बक्करवाला-मुंडका टोल प्लाज़ा के साथ भी सर्विस रोड बनाई जानी चाहिए। इस पर मंत्री ने आश्वासन तो दिया कि वह इस मुद्दे पर सरकार से चर्चा करेंगे, लेकिन तब तक टोल माफी से साफ इनकार कर दिया। साथ ही, उन्होंने U-turn की सुविधा देने की ग्रामीणों की मांग भी ठुकरा दी।
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पंचायत और महापंचायतों के बाद बढ़ा आंदोलन
बक्करवाला-मुंडका इलाके के ग्रामीणों ने इस मुद्दे को लेकर कई बार पंचायत और महापंचायतें आयोजित की हैं। हाल ही में हुई बैठकों में यह निर्णय लिया गया कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। ग्रामीण नेताओं का कहना है कि टोल प्लाज़ा उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी पर आर्थिक बोझ डाल रहा है और यह फैसला पूरी तरह अन्यायपूर्ण है।
इस प्रक्रिया में स्थानीय समुदाय ने अपनी आवाज़ मजबूती से उठाई है और आंदोलन को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं, ताकि उनकी मांगों को नजरअंदाज न किया जा सके।

विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
UER-2 बक्करवाला-मुंडका टोल विवाद अब राजनीतिक मोड़ लेने लगा है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा केवल वोट की राजनीति कर रही है और आम जनता की समस्याओं को अनदेखा कर रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पहले दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर से टोल हटाया गया था, उसी तरह UER-2 टोल को भी हटाया जाना चाहिए। विपक्ष ने साफ चेतावनी दी है कि अगर सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं करती, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन तेज करेंगे और जनता के हित के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।
डॉ. नरेश कुमार ने चेतावनी दी कि जब तक यूईआर-2 से टोल टैक्स नहीं हटता, कांग्रेस दिल्ली के लोगों की लड़ाई सड़कों पर लड़ेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर भी निशाना साधा और कहा कि आज वह यूईआर-2 के पास से होकर हिरणकुंदना गांव पहुंचीं, लेकिन उन्हें यह समझ ही नहीं आया कि दिल्ली के लोग टोल टैक्स से कितनी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने मुंडका रोड की खराब स्थिति को भी उदाहरण के तौर पर सामने रखा। कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि भाजपा सरकार की उदासीनता से ग्रामीण और शहर दोनों के लोग प्रभावित हैं और अब आंदोलन तेज होने की संभावना है।
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गांवों के निजी वाहनों के लिए टोल फ्री की मांग
भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से दिल्ली देहात के लिए एक ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने विशेष रूप से अनुरोध किया कि यूईआर-2 हाईवे के निर्माण में जिन गांवों की जमीन अधिग्रहित की गई है, उनके निजी वाहनों को टोल फ्री सुविधा दी जाए।
बिधूड़ी ने बताया कि 2002 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दिल्ली के किसानों की जमीन अधिग्रहित की थी, लेकिन केवल 13.60 लाख रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दिया गया था, जो पर्याप्त नहीं था। अलीपुर से महिपालपुर तक कई गांव इस अधिग्रहण से प्रभावित हुए। सांसद ने मंत्री से आग्रह किया कि इन प्रभावित गांवों के निजी वाहनों के लिए टोल माफी की सुविधा तुरंत लागू की जाए।
निष्कर्ष
UER-2 बक्करवाला-मुंडका टोल माफी विवाद अब केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह धीरे-धीरे एक बड़े जनआंदोलन का रूप ले रहा है। जहां सरकार अपने नियमों और नीतियों पर कायम है, वहीं ग्रामीण अपने अधिकार और राहत की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। आने वाले दिनों में यह टकराव और गहरा सकता है और दिल्ली की राजनीतिक हलचल पर भी इसका असर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
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