शेख हसीना : बांग्लादेश प्रधानमंत्री {The Impact of Haseena Bangladesh PM}

शेख हसीना : बांग्लादेश प्रधानमंत्री
शेख हसीना:

शेख हसीना बांग्लादेश की सबसे प्रमुख राजनीतिक हस्तियों में से एक हैं। वे बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति, शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं और वर्तमान में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं। उनके जीवन और करियर के प्रमुख बिंदुओं पर एक नजर:
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
• जन्म: 28 सितंबर 1947, तुंगीपारा, गापल्गंज, बांग्लादेश
• शिक्षा: शेख हसीना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ढाका के आजिमपुर गर्ल्स स्कूल से प्राप्त की और बाद में इडेन कॉलेज और ढाका विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
राजनीतिक करियर:
• शुरुआत: शेख हसीना ने 1981 में बांग्लादेश अवामी लीग की अध्यक्षता संभाली, जो उनके पिता द्वारा स्थापित पार्टी है।
• प्रधानमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल (1996-2001):
o शेख हसीना 1996 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। इस कार्यकाल में उन्होंने कई सुधार किए और भारत के साथ गंगा जल बंटवारे का समझौता किया।
विपक्ष में समय:
o 2001 से 2009 तक, हसीना विपक्ष में रहीं। इस दौरान उन्होंने पार्टी को मजबूत किया और विभिन्न राजनीतिक आंदोलनों में सक्रिय रहीं।
• प्रधानमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल (2009-वर्तमान):
o शेख हसीना 2009 में फिर से प्रधानमंत्री बनीं और तब से लगातार इस पद पर बनी हुई हैं। उनके नेतृत्व में बांग्लादेश ने आर्थिक, सामाजिक और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
उपलब्धियाँ:
1. आर्थिक विकास: शेख हसीना के कार्यकाल में बांग्लादेश ने उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति की है। जीडीपी वृद्धि दर उच्च रही है और देश ने एलडीसी (कम विकसित देश) से विकासशील देश बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
2. सामाजिक सुधार: महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्रों में बड़े सुधार हुए हैं। महिलाओं की साक्षरता दर में वृद्धि और बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है।
3. बुनियादी ढांचा विकास: पाद्मा ब्रिज, मेट्रो रेल प्रोजेक्ट और कई अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को शेख हसीना के नेतृत्व में पूरा किया गया है।
4. डिजिटल बांग्लादेश: उनकी सरकार ने “डिजिटल बांग्लादेश” की अवधारणा को आगे बढ़ाया, जिससे आईटी और टेलीकॉम सेक्टर में काफी प्रगति हुई।
चुनौतियाँ:
• राजनीतिक चुनौतियाँ: विपक्षी दलों के साथ टकराव और राजनीतिक अस्थिरता ने उनके शासन में कई बार समस्याएँ उत्पन्न की हैं।
• अंतरराष्ट्रीय संबंध: क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संभालने की चुनौती भी रही है, जिसमें रोहिंग्या संकट प्रमुख है।
शेख हसीना का नेतृत्व बांग्लादेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और उनकी नीतियों ने देश को नए आयामों पर पहुंचाया है। उनके शासन के दौरान बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान मजबूत की है।
शेख हसीना के सामने कौन कौन से चुनौतियाँ आयी ?
शेख हसीना के सामने कई चुनौतियाँ आयी हैं, जो उनके नेतृत्व और बांग्लादेश के राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित करती रही हैं। यहाँ उन प्रमुख चुनौतियों का विवरण दिया गया है:
राजनीतिक चुनौतियाँ:
1. विपक्षी दलों के साथ टकराव:
o बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और अन्य विपक्षी दलों के साथ शेख हसीना की सरकार का टकराव लंबे समय से चला आ रहा है। यह टकराव कभी-कभी हिंसक प्रदर्शनों और हड़तालों में बदल जाता है, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती है।
o 2014 और 2018 के चुनावों के दौरान विपक्षी दलों ने चुनावों में धांधली के आरोप लगाए और चुनावों का बहिष्कार किया, जिससे राजनीतिक तनाव बढ़ गया।
2. राजनीतिक हिंसा:
o राजनीतिक विरोधियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के आरोपों ने भी उनकी सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी सरकार पर दबाव बढ़ा है।
आर्थिक चुनौतियाँ:
1. आर्थिक असमानता:
o भले ही बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि दर उच्च रही हो, लेकिन आर्थिक असमानता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। गरीब और अमीर के बीच की खाई को पाटना एक बड़ी चुनौती है।
2. बेरोजगारी और श्रम बाजार:
o युवाओं में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। श्रम बाजार में सुधार और रोजगार के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता है।
सामाजिक चुनौतियाँ:
1. रोहिंग्या संकट:
o म्यांमार से आए लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा शेख हसीना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है। इन शरणार्थियों को स्थायी रूप से बसाने और उनके पुनर्वास की समस्या को हल करना एक जटिल मुद्दा है।
2. शिक्षा और स्वास्थ्य:
o शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना भी एक बड़ी चुनौती है। ग्रामीण इलाकों में इन सुविधाओं की कमी और शहरी इलाकों में बढ़ती मांग के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।
पर्यावरणीय चुनौतियाँ:
1. जलवायु परिवर्तन:
o बांग्लादेश एक निम्न-भूमि वाला देश है जो जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि से अत्यधिक प्रभावित है। बाढ़, चक्रवात, और समुद्र के कटाव जैसी समस्याएँ शेख हसीना सरकार के लिए बड़ी चुनौती हैं।
2. पर्यावरण प्रदूषण:
o औद्योगिक प्रदूषण, वायु और जल प्रदूषण जैसे मुद्दे भी गंभीर हैं। इनसे निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
प्रशासनिक और संस्थागत चुनौतियाँ:
1. भ्रष्टाचार:
o भ्रष्टाचार बांग्लादेश की राजनीति और प्रशासन में एक बड़ी समस्या है। शेख हसीना की सरकार ने इस पर अंकुश लगाने के प्रयास किए हैं, लेकिन इसे पूरी तरह से समाप्त करना अब भी चुनौती है।
2. कानून व्यवस्था:
o कानून व्यवस्था बनाए रखना और अपराध पर नियंत्रण पाना एक निरंतर चुनौती है, विशेषकर जब राजनीतिक हिंसा और उग्रवाद का खतरा बना रहता है।
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
1. भारत और चीन के साथ संबंध:
o शेख हसीना को भारत और चीन के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती भी रही है। दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
2. अंतर्राष्ट्रीय दबाव:
o रोहिंग्या संकट, मानवाधिकार मुद्दे, और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सुधार को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का दबाव भी एक बड़ी चुनौती है।
शेख हसीना ने इन चुनौतियों का सामना करते हुए बांग्लादेश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाया है। उन्होंने इन समस्याओं से निपटने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।
शेख के समय से पहले और बाद में तख्ता पलट
बांग्लादेश में तख्तापल

बांग्लादेश में तख्तापलट की घटनाएं उसके राजनीतिक इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। निम्नलिखित विवरण में बांग्लादेश में हुए प्रमुख तख्तापलट का उल्लेख है:
1. 1975 का तख्तापलट:
o तारीख: 15 अगस्त 1975
o घटना: इस दिन बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी। उनके परिवार के अधिकांश सदस्य भी इस हमले में मारे गए थे। यह तख्तापलट सेना के कुछ युवा अधिकारियों द्वारा किया गया था। इसके बाद ख़ुंदकर मुश्ताक अहमद को राष्ट्रपति बनाया गया।
2. सितंबर 1975 का तख्तापलट:
o तारीख: 3 नवंबर 1975
o घटना: सेना के एक और समूह ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और मेजर जनरल खालिद मशर्रफ को नया सेना प्रमुख बना दिया गया। हालांकि, यह तख्तापलट केवल चार दिन ही चला, और 7 नवंबर को एक और तख्तापलट हुआ।
3. 7 नवंबर 1975 का तख्तापलट:
o घटना: यह तख्तापलट भी सेना द्वारा किया गया था जिसमें मेजर जनरल ज़ियाउर रहमान को सत्ता में लाया गया। उन्होंने बांग्लादेश के प्रमुख नेता के रूप में कई सालों तक शासन किया।
4. 1982 का तख्तापलट:
o तारीख: 24 मार्च 1982
o घटना: सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, लेफ्टिनेंट जनरल हुसैन मोहम्मद इरशाद ने राष्ट्रपति अब्दुस सात्तर की सरकार को उखाड़ फेंका और खुद सत्ता पर काबिज हो गए। उन्होंने 1990 तक देश पर शासन किया।
बांग्लादेश में तख्तापलट की ये घटनाएं देश की राजनीति और समाज पर गहरा असर छोड़ गईं और उनके परिणामस्वरूप देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में कई उतार-चढ़ाव आए।

इस समय शेख हसीना जी ने बांग्लादेश में बढ़ते उत्पीड़न को देख के उन्होंने अपने पद से स्तीफा दे दिया और भारत के अगरतला के लिए हेलीकाप्टर से रवाना हुयीं, बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और विद्रोह काफी चरम पर है जो कि किसी भी देश के लिए अहितकारी होता है, | हालांकि वहां की कमान बांग्लादेश आर्मी चीफ ने ले रखा है और बताया की जल्द ही एक अंतरिम सरकार का गठन किया जायेगा |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top