भारत बनायेगा 6 एयरक्राफ्ट carrier : राजनाथ सिंह ( रक्षा मंत्री -भारत )
हाँ, यह सच है कि भारत 6 एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की योजना बना रहा है। यह घोषणा हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी। यह योजना भारत की समुद्री ताकत को मजबूत करने और हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का एक हिस्सा है।
भारत का वर्तमान में दो ही विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रमादित्य है। दूसरा विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रांत जो की अभी आत्मनिर्भर भारत की पहचान बनाकर कमीशन किया गया है। तीसरे विमानवाहक पोत, आईएनएस विशाल, का निर्माण 2030 तक पूरा होने की उम्मीद है।
अतिरिक्त 3 एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए, भारत अभी तक विस्तृत योजनाओं का खुलासा नहीं किया है।
हालांकि, यह अनुमान लगाया जाता है कि वे आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विशाल के समान आकार और क्षमता के होंगे। एयरक्राफ्ट कैरियर भारत की रक्षा रणनीति के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे देश को समुद्र में शक्ति का प्रक्षेपण करने की क्षमता प्रदान करते हैं। वे विमानों, हेलीकॉप्टरों और मिसाइलों को ले जा सकते हैं, जिनका उपयोग समुद्री लक्ष्यों पर हमला करने, अन्य जहाजों और विमानों की रक्षा करने और तटरेखा की रक्षा करने के लिए किया जा सकता है।
भारत का 6 एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने का लक्ष्य उसे दुनिया की प्रमुख समुद्री शक्तियों में से एक बना देगा।
यहां कुछ अतिरिक्त विवरण दिए गए हैं:
• भारत के 6 एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने का अनुमानित खर्च ₹50,000 करोड़ (लगभग $6.25 बिलियन) है।
• इन एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण कोचीन शिपयार्ड और लार्सन एंड टुब्रो द्वारा किया जाएगा।
• इन एयरक्राफ्ट कैरियर में भारतीय नौसेना के लगभग 5,000 कर्मी तैनात होंगे।
भारत के 6 एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की योजना देश की समुद्री सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह भारत को हिंद महासागर और उससे परे अपनी रणनीतिक पहुंच बढ़ाने में मदद करेगा।
भारत को एयरक्राफ्ट कैरियर की आवश्यकता क्यों है?
एयरक्राफ्ट कैरियर, जिन्हें “विमानवाहक पोत” भी कहा जाता है, विशाल युद्धपोत होते हैं जो विमानों, हेलीकॉप्टरों और मिसाइलों को ले जा सकते हैं। वे “समुद्री हवाई अड्डे” के रूप में कार्य करते हैं, जो भारत को समुद्र में कहीं भी शक्ति का प्रक्षेपण करने की क्षमता प्रदान करते हैं।
भारत को कई कारणों से एयरक्राफ्ट कैरियर की आवश्यकता है:
1. समुद्री सुरक्षा: भारत एक विशाल समुद्री तटरेखा वाला देश है, जिसकी रक्षा करना महत्वपूर्ण है। एयरक्राफ्ट कैरियर भारत को अपनी समुद्री सीमाओं की निगरानी करने, समुद्री खतरों से बचाने और समुद्री व्यापार की रक्षा करने में मदद करते हैं।
2. क्षेत्रीय प्रभाव: हिंद महासागर भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों के बढ़ते प्रभाव के साथ, भारत को क्षेत्र में अपनी शक्ति और प्रभाव बनाए रखने के लिए मजबूत नौसेना की आवश्यकता है। एयरक्राफ्ट कैरियर भारत को क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दिखाने और अपनी रणनीतिक हितों की रक्षा करने में मदद करते हैं।
3. शक्ति प्रक्षेपण: एयरक्राफ्ट कैरियर भारत को समुद्र में कहीं भी शक्ति का प्रक्षेपण करने की क्षमता प्रदान करते हैं। यह भारत को प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मानवीय सहायता प्रदान करने, समुद्री डकैती से लड़ने और विदेशी हस्तक्षेप को रोकने में मदद कर सकता है।
4. राष्ट्रीय गौरव: एयरक्राफ्ट कैरियर किसी भी देश के लिए राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक होते हैं। वे एक देश की तकनीकी और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। भारत के पास जितने अधिक एयरक्राफ्ट कैरियर होंगे, उतना ही यह दुनिया में एक मजबूत और प्रभावशाली शक्ति के रूप में देखा जाएगा।
5. आर्थिक लाभ: एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण और संचालन से रोजगार और आर्थिक विकास पैदा होता है। वे भारत के रक्षा उद्योग को भी बढ़ावा देते हैं और देश को आत्मनिर्भर बनने में मदद करते हैं।
एयरक्राफ्ट कैरियर के क्या कार्य होते हैं :-
एयरक्राफ्ट कैरियर के मुख्य कार्य:
एयरक्राफ्ट कैरियर, जिन्हें “विमानवाहक पोत” भी कहा जाता है, विशाल युद्धपोत होते हैं जो विमानों, हेलीकॉप्टरों और मिसाइलों को ले जाते हैं। वे “समुद्री हवाई अड्डे” के रूप में कार्य करते हैं, जो भारत को समुद्र में कहीं भी शक्ति का प्रक्षेपण करने की क्षमता प्रदान करते हैं।
एयरक्राफ्ट कैरियर के अनेक कार्य होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
1. समुद्री युद्ध:
• दुश्मन के जहाजों और विमानों पर हमला करना।
• हवाई रक्षा प्रदान करना।
• समुद्री नाकाबंदी लागू करना।
• उभयचर अभियानों का समर्थन करना।
2. क्षेत्रीय निगरानी और गश्त:
• समुद्री सीमाओं की निगरानी करना।
• समुद्री गतिविधियों पर नजर रखना।
• मछली पकड़ने के अवैध मामलों को रोकना।
• समुद्री डकैती का मुकाबला करना।
3. मानवीय सहायता और आपदा राहत:
• प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सहायता प्रदान करना।
• चिकित्सा सहायता प्रदान करना।
• पीड़ितों को निकालना।
• राहत सामग्री वितरित करना।
4. वैज्ञानिक अनुसंधान:
• समुद्री अनुसंधान का समर्थन करना।
• मौसम संबंधी डेटा इकट्ठा करना।
• खनिज संसाधनों का पता लगाना।
• पर्यावरणीय अध्ययन करना।
5. प्रशिक्षण:
• नौसेना के विमान चालकों और अन्य कर्मियों को प्रशिक्षण देना।
• नए हथियारों और रणनीति का परीक्षण करना।
• संयुक्त सैन्य अभ्यास में भाग लेना।
6. कूटनीति:
• विदेशी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना।
• नौसैनिक शक्ति का प्रदर्शन करना।
• शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एयरक्राफ्ट कैरियर की क्षमताएं उनके आकार, डिजाइन और ले जाने वाले विमानों और हथियारों पर निर्भर करती हैं।
भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य है, जो मुख्य रूप से रूसी निर्मित विमानों का संचालन करता है।
दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत, 2023 में कमीशन किया जाने वाला है और यह स्वदेशी निर्मित विमानों को ले जाएगा।
भारत 6 एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की योजना बना रहा है, जो इसे दुनिया की प्रमुख समुद्री शक्तियों में से एक बना देगा।
भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर का इतिहास:
भारत का एयरक्राफ्ट कैरियर का इतिहास अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन यह महत्वपूर्ण घटनाओं और उपलब्धियों से भरा हुआ है।
1947: भारत की स्वतंत्रता के बाद, भारतीय नौसेना ने ब्रिटिश रॉयल नेवी से कई युद्धपोतों को विरासत में प्राप्त किया, जिनमें एक एयरक्राफ्ट कैरियर, एचएमएस विक्रांत भी शामिल था।
1957: एचएमएस विक्रांत को भारतीय नौसेना में आईएनएस विक्रांत के रूप में कमीशन किया गया। यह भारत का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर था।
1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, आईएनएस विक्रांत ने पाकिस्तानी बंदरगाहों पर हवाई हमले किए और भारतीय नौसेना की नाकाबंदी को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1997: आईएनएस विक्रांत को सेवामुक्त कर दिया गया और इसे एक संग्रहालय जहाज में बदल दिया गया।
2013: भारत ने रूस से एक विक्रमादित्य श्रेणी का एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य खरीदा।
2014: आईएनएस विक्रमादित्य को भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया। यह भारत का दूसरा और वर्तमान में एकमात्र सक्रिय एयरक्राफ्ट कैरियर है।
2023: भारत ने अपना पहला स्वदेशी निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत लॉन्च किया।
2023 (अनुमानित): आईएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना में कमीशन किया जा चुका है |
भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर के इतिहास में कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां:
• भारत पहला एशियाई देश था जिसके पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर थे (1971 में)।
• भारत पहला देश है जिसने एक विक्रमादित्य श्रेणी का एयरक्राफ्ट कैरियर संचालित किया है।
• भारत पहला देश है जिसने अपना स्वदेशी निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर विकसित और बनाया है।
INS विक्रमादित्य :-
INS विक्रमादित्य भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा और ताकतवर युद्धपोत है। यह असल में रूस का जहाज था जिसे भारत ने खरीदा और उसका नाम बदलकर INS विक्रमादित्य रख दिया. आइये इसके बारे में कुछ रोचक बातें जानते हैं:
• पहचान: इसे रूस से खरीदने से पहले इसका नाम एडमिरल गोर्शकोव और बाकू था।
• आकार: इसका वजन 44,570 टन है और इसकी ऊंचाई 60 मीटर है, जो करीब 20 मंजिली इमारत जितनी है!
• गति: ये समंदर की लहरों को चीरता हुआ 30 नॉट यानी करीब 54 किमी/घंटा की रफ्तार से चल सकता है.
• क्षमता: इस पर 1600 से 1800 नौसैनिक तैनात रह सकते हैं. साथ ही 24 मिग-29 लड़ाकू विमान और 10 हेलिकॉप्टर भी ले जा सकता है.
• विशेषताएं: आधुनिक रडार, संचार प्रणाली और हथियारों से लैस है। साथ ही जहाज पर ही विमानों को उतारने और उड़ाने की सुविधा भी है।
कुल मिलाकर, INS विक्रमादित्य भारतीय समुद्री सुरक्षा का एक अहम हिस्सा है।
INS विक्रांत :-
आईएनएस विक्रांत: भारत का गौरवशाली विमानवाहक पोत
परिचय (introduction)
आईएनएस विक्रांत हमारे देश का गौरव और नए भारत के उदय का प्रतीक है |आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना का दूसरा विमानवाहक पोत है और यह स्वदेशी रूप से निर्मित पहला विमानवाहक पोत भी है। इसे 2022 में कमीशन किया गया था और यह भारत की बढ़ती नौसैनिक शक्ति का प्रतीक है।
विशेषताएं:
• विस्थापन: 44,500 टन
• लंबाई: 283 मीटर
• चौड़ाई: 62 मीटर
• ऊंचाई: 55 मीटर
• अधिकतम गति: 28 समुद्री मील (52 किमी/घंटा)
• चालक दल: 1,600
क्षमताएं:
• 40 विमानों को ले जाने की क्षमता, जिसमें मिग-29K लड़ाकू विमान, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस, हेलीकॉप्टर और ड्रोन शामिल हैं।
• अत्याधुनिक हथियार और रडार प्रणालियों से लैस।
• विमानों को उतारने और उड़ाने के लिए दो रनवे।
• आत्मनिर्भरता के लिए कई सुविधाएं, जैसे कि विमानों की मरम्मत और रखरखाव के लिए कार्यशालाएं।
महत्व:
• आईएनएस विक्रांत हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करता है।
• यह भारत को समुद्री खतरों से बचाने में मदद करता है।
• यह भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक प्रतीक है।
निष्कर्ष:
आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति है और यह देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह भारत की बढ़ती वैश्विक शक्ति का प्रतीक है और यह आने वाले कई वर्षों तक भारतीय समुद्रों की रक्षा करेगा।