बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी (Susheel Modi) का निधन : भारतीय राजनीति की अपार क्षति
पुर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी (Susheel Modi) ने दिल्ली एम्स में ली अंतिम साँस, जो 6 महीने से बीमार थे, आज एक बहादुर नायक अपनी बीमारी से हार गया| जबकि उनका लगातार इलाज चलने के कारण भी उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ | बिहार के पूर्वे मुख्यमंत्री का इस तरह जाना भारतीय राजनीति की बड़ी क्षति है | बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी जी गले के कैंसर से पीड़ित थे |
सुशील मोदी एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष भी बनाया था। उन्होंने बिहार के विकास और प्रशासन में विभिन्न कदम उठाए और उन्हें बिहार की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में माना जाता है।
उनके कार्यकाल में कई विकास कार्यक्रमों को शुरू किया गया, जो बिहार के विकास में मददगार साबित हुए। उनके योजनाओं में कृषि, पशुपालन, और शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। मोदी ने भाजपा के नेतृत्व में बिहार की राजनीति में भी अहम भूमिका निभाई। उनका राजनीतिक योगदान और उनके नेतृत्व में कार्यों के कारण उन्हें बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के रूप में माना जाता है।
सुशील कुमार मोदी भारतीय जनता पार्टी के एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जो बिहार से राज्यसभा में सांसद थे। वह 2005 से 2013 और 2017 से 2020 तक बिहार के उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ बिहार के वित्त मंत्री भी रहे। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आजीवन सदस्य थे।
गले का कैंसर :
गले का कैंसर तब होता है जब आपके गले में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं और एक ट्यूमर बना लेती हैं. गला (जिसे ग्रसनी भी कहा जाता है) एक खोखली नली है जो आपकी नाक के पीछे से भोजन की नली (ग्रासनली) और श्वासनली (ट्रेकिआ) तक जाती है. गले का कैंसर गले के विभिन्न भागों में हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
• स्वरयंत्र (आवाज बॉक्स)
• ग्रसनी (गले का पिछला भाग)
• टॉन्सिल
गले के कैंसर के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे आम कारण हैं:
गले के कैंसर के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से ये तीन चीजें जिम्मेदार होती हैं:
• तंबाकू का सेवन: धूम्रपान करना (सिगरेट, बीड़ी, हुक्का आदि) और तंबाकू चबाना (खैनी, गुटका आदि) दोनों ही गले के कैंसर का बहुत बड़ा खतरा बढ़ाते हैं. तंबाकू में ऐसे रसायन होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर का कारण बन सकते हैं |
• शराब का सेवन: ज्यादा शराब पीना भी गले के कैंसर का एक कारण है. शराब तंबाकू के साथ मिलकर और भी ज्यादा खतरनाक हो जाती है, यानी दोनों चीजों का सेवन साथ में करने से कैंसर का खतरा बहुत बढ़ जाता है |
• ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) का संक्रमण: कुछ मामलों में, ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) के संक्रमण से भी गले का कैंसर हो सकता है. यह वही वायरस है जो जननांगों में मस्सों का कारण बनता है |
इसके अलावा, कुछ अन्य चीजें भी गले के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
• अस्वस्थ आहार
• रेडिएशन के संपर्क में आना
• कमजोर इम्यून सिस्टम
अगर आपको गले के कैंसर के बारे में कोई चिंता है तो डॉक्टर से बात करना ज़रूरी है. गले के कैंसर के कुछ लक्षणों में शामिल हैं:
• गले में खराश जो ठीक नहीं होती
• आवाज का बैठना
• निगलने में परेशानी
• कान में दर्द
• गले में गांठ
यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें. गले के कैंसर का जल्दी पता चलने पर इलाज आसान होता है.
गले के कैंसर से बचने के उपाय :-
गले के कैंसर के पूरी तरह से बचाव की गारंटी तो नहीं है, लेकिन आप अपने जोखिम को कम करने के लिए कई चीजें कर सकते हैं:
• तंबाकू से दूर रहें: धूम्रपान करना छोड़ दें और किसी भी तरह का तंबाकू का सेवन न करें (चबाना या सूंघना)। अगर आपको छोड़ने में मदद की ज़रूरत है तो डॉक्टर से बात करें.
• शराब का सेवन सीमित करें: शराब का सेवन कम से कम करें या पूरी तरह बंद कर दें |
• स्वस्थ आहार लें: फल, सब्जियां और साबुत अनाज से भरपूर आहार लें |
• HPV वैक्सीन लगवाएं: अगर आपकी उम्र उपयुक्त है तो HPV वैक्सीन लगवाने पर विचार करें. यह वैक्सीन कुछ प्रकार के HPV संक्रमणों से बचा सकती है, जो गले के कैंसर का कारण बन सकते हैं |
• नियमित दंत चिकित्सा जांच करवाएं:खराब दांतों और मसूड़ों के रोगों का इलाज करवाएं |
• सूर्य के अत्यधिक संपर्क से बचें: अपने होठों पर सनस्क्रीन लगाएं, खासकर धूप में निकलने से पहले |
हर किसी को डॉक्टर के पास नियमित जांच करवानी चाहिए, खासकर अगर उन्हें गले के कैंसर का खतरा ज्यादा है. डॉक्टर किसी भी असामान्य लक्षण की जांच कर सकते हैं और जल्दी पता लगाने में मदद कर सकते हैं. जल्दी पता चलने पर गले के कैंसर का इलाज ज्यादा कारगर होता है |