क्यों उत्तराखंड (Uttarakhand)के जंगलों में बढ़ रहा आग का प्रकोप, आग पर काबू की कोशिश लगातार जारी,,……

उत्तराखंड (Uttarakhand)के जंगलों में बढ़ रहा आग का प्रकोप

उत्तराखंड के भीमताल से सटे जंगलों में 4 दिन से लगी आग बेकाबू हालत में पंहुच चुकी है। नैनीताल से लेकर भीमताल, रानीखेत, अल्मोड़ा सहित पूरे कुमाऊं में जंगल आग की लपेट में हैं, जिससे गढ़वाल और कुमाऊं मंडल  के ११ जिले प्रभावित हैं |

देहरादून और एनी क्षेत्रों में बारिश के बाद आग पर कुछ हद तक काबू  पाया गया है, अन्य क्षेत्रों में आग पर काबू पाने की कोशिश लगातार जारी है |
उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जंगलों में अचानक आग का प्रकोप बढ़ रहा है। यह आग जंगली प्राणियों, पौधों और पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचा रही है। यह समस्या उत्तराखंड के वन्यजीव एवं जलवायु तंत्र के लिए गंभीर खतरा बन गई है।

इस आग के प्रकोप की मुख्य वजहों में से एक है जल्दी बदलता जलवायु और अनियमित वर्षा की अवस्था। इससे सूखे की स्थिति बढ़ गई है और जंगलों में सूखे के अनुसार भूमि का सूखापन बढ़ रहा है। यह वन्यजीवों को भोजन और आवास की कमी में डाल रहा है, जिससे उनकी संरक्षा में कमी आ रही है।

विभिन्न कारणों से आग का प्रकोप होना एक बड़ी समस्या है, जिसमें मानव की लापरवाही, जंगलों में विकास कार्यों का अत्यधिक विस्तार, और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव शामिल है। अत्यंत उष्णता, कम वर्षा, और अधिक वायु प्रदूषण के कारण जंगलों की स्थिति और भी कठिन हो रही है। सरकारों को इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए कठिन कदम उठाने की जरूरत है। वन्यजीव संरक्षण, जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए अनुकूल उपायों को अपनाना, और लोगों को जागरूक करना सभी के लिए आवश्यक है।

उत्तराखंड के जंगलों में आग का प्रकोप एक गंभीर समस्या है, जिसे समय रहते ठीक करने की आवश्यकता है। यह समस्या सिर्फ जंगलों के ही नहीं, बल्कि पूरे पर्यावरण और मानवीय समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण है। उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग को बुझाने में जुटा एविएशन का हेलीकॉप्टर एक महत्वपूर्ण साधन है। हेलीकॉप्टर का उपयोग जंगली क्षेत्रों में आग की स्थिति का निरीक्षण करने, जलवायु बदलावों का मापन करने, आग की दिशा और आकार का अनुमान लगाने, और आग बुझाने के लिए आवश्यक उपकरणों को ले जाने में मदद करता है।

हेलीकॉप्टर आग के जलने जंगल में जल डालने, जल संचार, या आग को अन्य तरीकों से नियंत्रित करने के लिए जल प्रदाहन को भी कर रहा है। इसके अलावा, जुटा एविएशन का हेलीकॉप्टर जंगल में फाइयरफाइटर टीम को संचालित करके उन्हें आग पर काबू पाने में मदद कर रहे हैं है।इस तरह के हेलीकॉप्टर उपयोग से जंगलों में लगी आग को तेजी से बुझाया जा रह  है और जंगली प्राणियों, पौधों, और पर्यावरण को नुकसान से बचाया के प्रयास लगातार जारी हैं ।

उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने के कई कारण हो सकते हैं।

निम्नलिखित कुछ मुख्य कारण शामिल हो सकते हैं:

  1. अनियमित वर्षा: अनियमित वर्षा और जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे का संभावनात्मक असर होता है, जिससे जंगलों में सूखापन बढ़ता है और सूखे के साथ ही आग भी जल सकती है।
  2. वन्य उत्पादन: किसानों या विभिन्न अन्य लोगों द्वारा जंगल में आग लगाने के उद्देश्य से वन्य उत्पादन की प्रक्रिया किया जा सकता है, जिसका परिणाम स्थानीय जंगलों में आग लगना हो सकता है।
  3. विनाशकारी धार्मिक क्रियाएं: कई बार धार्मिक या आध्यात्मिक कार्यों के दौरान जंगल में आग लगा दी जाती है, जैसे कि अग्निपूजा या धार्मिक उत्सव, जो अवधिक धूम्रपान और आग का उपयोग कर सकते हैं।
  4. मानव से संबंधित गलती: अक्सिदेंटली, लोगों के अनजाने में जंगल में आग लग जाने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि धुम्रपान, बिना सावधानी से धुम्रपान के आवश्यकता के कारण अग्नि की चिंगारियों का प्रसार।

इन कारणों के संयुक्त प्रभाव के कारण, उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की स्थिति बढ़ रही है, जो वन्यजीव, पर्यावरण, और मानव समुदाय को भी प्रभावित कर रही है।

 

 

उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने से बचाव के लिए कई उपाय हैं,

यहाँ कुछ मुख्य उपाय दिए जा रहे हैं:

  1. जागरूकता बढ़ाएं: स्थानीय लोगों को जंगलों में आग लगने के खतरे के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है। वे जंगलों में चिंगारियों और धुम्रपान की सावधानी से बात करें।
  2. धुंध की परख: जंगल के क्षेत्र में धुंध की परख करना और संभावित आग के संकेतों को ध्यान में रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
  3. आग प्रतिबंधक उपकरण: सुरक्षा के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के आग प्रतिबंधक उपकरणों का उपयोग करें, जैसे कि अग्निशामक और आग नियंत्रण उपकरण।
  4. संरक्षण कार्यक्रम: स्थानीय समुदायों और सरकारी अधिकारियों के बीच संरक्षण कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करें। इन कार्यक्रमों में जंगलों की सुरक्षा और जागरूकता को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  5. धूम्रपान के प्रति सावधानी: धूम्रपान की प्रति सावधानी बरतें और जंगल में कभी भी धूम्रपान न करें।
  6. तालाब और नहरों का निरीक्षण: जंगल क्षेत्रों में तालाबों और नहरों का नियमित निरीक्षण करें ताकि जल संचय की स्थिति का पता चल सके और आग को फैलने से रोका जा सके।
  7. जलवायु परिवर्तन के साथ सामंजस्य बनाएं: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझें और उन्हें संभावित आग और सूखे के खतरों को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन करें।

ये उपाय जंगलों में आग के खतरे से बचाव में मदद कर सकते हैं। इनका पालना जंगलों के सुरक्षा और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 

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