मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का इस्तीफा: क्या मणिपुर में लगेगा अब राष्ट्रपति शासन ?

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का इस्तीफा: क्या मणिपुर में लगेगा अब राष्ट्रपति शासन ?
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के पीछे राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता के कई बड़े कारण थे। इनमें जातीय हिंसा, पार्टी के भीतर असंतोष, विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक विवादित मामला प्रमुख रहे।

1. जातीय हिंसा और प्रशासनिक विफलता
मई 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच गंभीर जातीय संघर्ष जारी था। इस हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान गई और हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो गए।
इस स्थिति को संभालने में सरकार की असमर्थता के कारण मुख्यमंत्री को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा।

2. राजनीतिक अस्थिरता और अविश्वास प्रस्ताव
विपक्षी दलों विशेष रूप से कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई थी।
साथ ही, भाजपा के भीतर भी नेतृत्व को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा था, जिससे सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े हो गए थे।

3. भाजपा के भीतर आंतरिक कलह
मुख्यमंत्री के नेतृत्व से भाजपा के कई विधायक और मंत्री नाखुश थे।
इस वजह से पार्टी के भीतर मतभेद बढ़ने लगे और नेतृत्व परिवर्तन की मांग जोर पकड़ने लगी।

4. सुप्रीम कोर्ट में विवादित ऑडियो टेप मामला
एक कथित ऑडियो टेप सामने आया, जिसमें मुख्यमंत्री की आवाज होने का दावा किया गया।
इस टेप में कथित तौर पर हिंसा को बढ़ावा देने से जुड़ी बातें कही गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने इसकी फोरेंसिक जांच के आदेश दिए, जिससे मुख्यमंत्री की मुश्किलें और बढ़ गईं।
इन सभी कारणों के चलते एन. बीरेन सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके साथ ही, मणिपुर में नए नेतृत्व की तलाश शुरू हो गई।

मणिपुर में राजनीतिक संकट: राष्ट्रपति शासन की संभावना बढ़ी
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के 9 फरवरी 2025 को इस्तीफा देने के बाद, राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है। अब तक नए मुख्यमंत्री का चयन नहीं हुआ है, जिससे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने की संभावना प्रबल हो गई है।

राष्ट्रपति शासन की संभावना क्यों बढ़ी?
1. विधानसभा सत्र की समय सीमा
भारतीय संविधान के अनुसार, दो विधानसभा सत्रों के बीच अधिकतम छह महीने का अंतर हो सकता है। मणिपुर विधानसभा का पिछला सत्र 12 अगस्त 2024 को हुआ था, इसलिए अगला सत्र 12 फरवरी 2025 तक अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
यदि इस अवधि में नया मुख्यमंत्री नियुक्त नहीं होता और विधानसभा सत्र आयोजित नहीं किया जाता, तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।

2. नए मुख्यमंत्री के चयन में देरी
भाजपा के भीतर नेतृत्व को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। पार्टी के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा विधायकों से लगातार बातचीत कर रहे हैं, लेकिन अब तक किसी भी नाम पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। इस स्थिति ने राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा दिया है।

3. राज्यपाल की भूमिका
मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने अभी तक विधानसभा सत्र बुलाने की अधिसूचना जारी नहीं की।
ऐसे में यह संकेत मिल रहा है कि राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं।

राष्ट्रपति शासन के प्रभाव
• राज्य की सभी प्रशासनिक शक्तियाँ केंद्र सरकार के अधीन आ जाएँगी।
• राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करेंगे।
• विधानसभा के कार्य निलंबित हो जाएँगे और सरकार का संचालन केंद्र द्वारा किया जाएगा।
• राष्ट्रपति शासन पहली बार छह महीने के लिए लागू किया जाएगा, जिसे संसद की मंजूरी से आगे बढ़ाया जा सकता है।
यदि जल्द ही नए मुख्यमंत्री की घोषणा नहीं होती, तो मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। इससे राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं।
N.BIREN SINGH :-
एन. बीरेन सिंह: मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री का जीवन परिचय
व्यक्तिगत जीवन और प्रारंभिक करियर
नोंगथोम्बम बीरेन सिंह, जिन्हें आमतौर पर एन. बीरेन सिंह के नाम से जाना जाता है, का जन्म 1 जनवरी 1961 को मणिपुर के इंफाल पूर्वी जिले में हुआ था।
उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने मणिपुर में ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और आगे चलकर भारतीय सेना में भर्ती हुए।

भारतीय सेना में सेवा
एन. बीरेन सिंह ने भारतीय सेना के असम रेजीमेंट में कुछ वर्षों तक सेवा की। हालांकि, बाद में उन्होंने सेना से इस्तीफा देकर पत्रकारिता की ओर रुख किया।
पत्रकारिता करियर
सेना छोड़ने के बाद, उन्होंने मणिपुरी भाषा में प्रकाशित “नहारोलगी थौडांग” (Naharolgi Thoudang) नामक समाचार पत्र की शुरुआत की और इसके संपादक बने।
पत्रकार के रूप में उन्होंने कई सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उठाया, जिससे उन्हें राजनीतिक दुनिया में प्रवेश करने की प्रेरणा मिली।
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राजनीतिक सफर
प्रारंभिक राजनीति (2002-2016)
एन. बीरेन सिंह ने 2002 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी (DPP) के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता और विधायक बने।
हालांकि, जल्द ही उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का दामन थाम लिया और 2003 से 2016 तक कांग्रेस पार्टी में एक सक्रिय नेता के रूप में कार्य किया।

भाजपा में शामिल होना और मुख्यमंत्री बनना (2016-2017)
2016 में, एन. बीरेन सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए।
इसके बाद, उन्होंने 2017 के मणिपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाने में मदद की।
15 मार्च 2017 को, उन्होंने मणिपुर के पहले भाजपा मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

दूसरी बार मुख्यमंत्री बनना (2022-2025)
2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने फिर से जीत हासिल की और एन. बीरेन सिंह 14 मार्च 2022 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
उनके नेतृत्व में कई विकास योजनाएँ लागू की गईं, लेकिन उनका दूसरा कार्यकाल जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता से प्रभावित रहा।
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मुख्यमंत्री के रूप में प्रमुख कार्य (2017-2025
एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएँ लागू कीं, जिनमें शामिल हैं:
1. गो टू विलेज योजना (Go to Village):
o इस योजना का उद्देश्य गाँवों तक सरकारी सुविधाएँ पहुँचाना था।
o सरकार ने गाँव-गाँव जाकर लोगों की समस्याएँ सुनीं और सीधे समाधान प्रदान किए।
2. स्टार्टअप मणिपुर (Startup Manipur):
o इस योजना के तहत युवाओं और उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता दी गई।
o स्थानीय व्यापार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कई सुविधाएँ दी गईं।
3. मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (CM Health Scheme):
o गरीब परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाएँ मुफ्त या कम लागत पर उपलब्ध कराने के लिए यह योजना शुरू की गई।
4. बुनियादी ढाँचा विकास:
o मणिपुर में सड़कें, पुल, और अन्य बुनियादी ढाँचे के विकास पर जोर दिया गया।
o बिजली और पानी की उपलब्धता में सुधार लाने के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गईं।
हालांकि, उनके कार्यकाल के दौरान राज्य में जातीय हिंसा बढ़ने लगी, विशेष रूप से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष। इस हिंसा ने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए।
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इस्तीफा और मणिपुर में राजनीतिक संकट
2023 में मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी, जो मैतेई और कुकी समुदायों के बीच गहरी दरार का कारण बनी।
इस हिंसा में 250 से अधिक लोगों की मौत हुई और हजारों लोग बेरोजगार और विस्थापित हो गए।
मुख्य कारण जिनके चलते इस्तीफा देना पड़ा:
1. जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफलता
o मई 2023 से मणिपुर में लगातार जातीय हिंसा हो रही थी।
o सरकार इस हिंसा को रोकने में असफल रही, जिससे जनता में असंतोष बढ़ गया।
2. भाजपा में अंदरूनी कलह
o भाजपा के कई विधायक एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व से नाराज थे।
o पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की माँग तेज हो गई थी।
3. विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव की संभावना
o विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा था।
o भाजपा के अंदर भी मुख्यमंत्री के खिलाफ विरोध बढ़ने लगा था।
4. सुप्रीम कोर्ट में ऑडियो टेप विवाद
o एक कथित ऑडियो टेप वायरल हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री को हिंसा भड़काने की बात करते हुए सुना गया।
o सुप्रीम कोर्ट ने इसकी फोरेंसिक जांच के आदेश दिए, जिससे सरकार पर और दबाव बढ़ गया।
इस्तीफा और राष्ट्रपति शासन की संभावना
9 फरवरी 2025 को, एन. बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
अब तक नए मुख्यमंत्री की घोषणा नहीं हुई है, जिससे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने की संभावना बढ़ गई है।
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एन. बीरेन सिंह ने मणिपुर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने विकास कार्यों को गति दी, लेकिन जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण उनकी सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
अब मणिपुर में नए नेतृत्व का चयन और स्थिरता बहाल करना एक बड़ी चुनौती बन चुका है।

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