अभय सिंह की यात्रा : IITian Baba at Mahakumbh: From Earning Rs. 36 Lakh in Canada to Embracing Asceticism

अभय सिंह की यात्रा : IITian Baba at Mahakumbh: From Earning Rs. 36 Lakh in Canada to Embracing Asceticism

महाकुंभ 2025 के दौरान एक ऐसा नाम चर्चा में आ रहा है, जो अपनी शैक्षिक सफलता से आध्यात्मिकता की ओर मुड़ा है – ‘आईआईटी बाबा’ के नाम से प्रसिद्ध अभय सिंह। उनका जीवन सफर केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा नहीं, बल्कि समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी प्रदान करता है। अभय सिंह की कहानी यह दर्शाती है कि भौतिक सफलता और सामाजिक मान्यता के बावजूद व्यक्ति आंतरिक शांति की तलाश में एक नया रास्ता चुन सकता है।
भौतिकता से मोहभंग के बाद अभय सिंह ने आध्यात्मिक मार्ग अपनाया और अपनी आत्मा की शांति, ध्यान और साधना पर ध्यान केंद्रित किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने “गोरख बाबा” नाम से एक नई पहचान बनाई, जो उनके जीवन के महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक था। उन्होंने शैक्षिक और भौतिक सफलता को छोड़कर आत्मज्ञान की ओर कदम बढ़ाया, जिससे उन्हें आंतरिक शांति और संतुलन मिला, जो उनके जीवन का नया उद्देश्य बन गया।
हाल ही में, अभय सिंह को जूना अखाड़े से उनके गुरु महंत सोमेश्वर पुरी के खिलाफ अनुचित भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में निष्कासित कर दिया गया। इस घटना ने उनके आध्यात्मिक यात्रा को एक नया मोड़ दिया, और यह दिखाया कि आध्यात्मिकता के मार्ग में आने वाली चुनौतियाँ और विवाद व्यक्ति के विश्वासों को और मजबूत कर सकते हैं।
अभय सिंह का “आईआईटी बाबा” नाम उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि और आध्यात्मिकता के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उनके जीवन ने यह सिद्ध किया है कि भौतिक सफलता और शिक्षा के बावजूद, जीवन का असली उद्देश्य आत्मज्ञान की प्राप्ति और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने में ही है।

अभय सिंह का शैक्षिक सफर
अभय सिंह का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की और दसवीं कक्षा में 93% अंक, जबकि बारहवीं कक्षा में 92.04% अंक हासिल किए। इन उपलब्धियों ने उन्हें अपनी उच्च शिक्षा के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया। उनका सपना था कि वह किसी प्रतिष्ठित संस्थान से उच्च शिक्षा प्राप्त करें और उन्होंने इसे साकार भी किया।
उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। IIT में शिक्षा के दौरान उन्होंने न केवल तकनीकी ज्ञान बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को भी समझा। इस दौरान उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से खुद को एक उभरते हुए इंजीनियर के रूप में स्थापित किया।

करियर की शुरुआत
IIT से स्नातक होने के बाद, अभय सिंह के पास दुनिया भर में करियर के कई विकल्प थे। उन्होंने कनाडा की एक प्रतिष्ठित कंपनी में 36 लाख रुपये के वार्षिक पैकेज पर नौकरी शुरू की। यह पैकेज उनके पेशेवर करियर के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, जो उन्हें भौतिक रूप से संपन्न और सफल बना सकता था।
लेकिन इसके बावजूद, उन्होंने महसूस किया कि उनकी जीवन की शांति और संतुष्टि इस सफलता से पूरी नहीं हो पा रही थी। यह एक मोड़ था, जब उन्होंने भौतिक जीवन के आकर्षण से बाहर निकलने का फैसला किया और आंतरिक शांति की तलाश शुरू की।

आध्यात्मिकता की ओर कदम
भौतिक जीवन से मोहभंग होने के बाद, अभय सिंह ने आध्यात्मिकता की ओर रुख किया। यह कदम उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने अपना ध्यान आत्मज्ञान, साधना और ध्यान पर केंद्रित किया। ‘गोरख बाबा’ के नाम से उन्होंने एक नया जीवन आरंभ किया और आंतरिक शांति की खोज में निकल पड़े। यह परिवर्तन न केवल उनके जीवन के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा बन गया।
आध्यात्मिकता की ओर उनका रुझान एक साहसिक निर्णय था, क्योंकि उन्होंने अपने भौतिक सुख-साधनों, नौकरी और प्रतिष्ठा को छोड़कर आत्मज्ञान की ओर रुख किया। इस निर्णय ने उन्हें एक नए आत्म-विश्लेषण और मानसिक शांति की ओर अग्रसर किया।

जूना अखाड़े से निष्कासन
हाल ही में, अभय सिंह का नाम एक और विवाद में आया, जब जूना अखाड़े ने उन्हें उनके गुरु महंत सोमेश्वर पुरी के खिलाफ अनुचित भाषा का प्रयोग करने के आरोप में निष्कासित कर दिया। यह घटनाक्रम उनके आध्यात्मिक यात्रा में एक नया मोड़ साबित हुआ। हालांकि इस विवाद ने उनकी छवि पर प्रभाव डाला, लेकिन उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को जारी रखा।
यह घटना दर्शाती है कि आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के दौरान व्यक्ति को आलोचनाओं और संघर्षों का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि व्यक्ति अपने मार्ग और आंतरिक विश्वासों पर अडिग रहता है, तो उसे अपने लक्ष्य तक पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता।

जीवन के असली उद्देश्य की खोज
अभय सिंह का जीवन यह सिखाता है कि जब भौतिक सफलता पूरी नहीं हो पाती, तो व्यक्ति को अपने जीवन के असली उद्देश्य की खोज करनी चाहिए। उनके जीवन का यह बदलाव समाज के लिए एक संदेश है कि बाहरी सफलता के बावजूद आंतरिक शांति और संतुष्टि की प्राप्ति ही असली लक्ष्य होना चाहिए।
यह भी दर्शाता है कि किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन में बदलाव और नई दिशा अपनाना संभव है, चाहे वह किसी भी उम्र या स्थिति में हो। अभय सिंह का जीवन यह साबित करता है कि जीवन के किसी भी मोड़ पर व्यक्ति आंतरिक शांति और संतुष्टि की खोज कर सकता है।
अभय सिंह की यात्रा एक प्रेरणा है, जो यह दिखाती है कि शैक्षिक और भौतिक सफलता जीवन का अंत नहीं है। आत्मज्ञान और आध्यात्मिकता की खोज एक व्यक्ति को उसके वास्तविक उद्देश्य तक पहुँचने में मदद करती है। महाकुंभ 2025 में अभय सिंह का यह सफर यह साबित करता है कि जीवन में आंतरिक शांति की तलाश हमेशा प्रासंगिक रहती है, चाहे व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में हो।
अभय सिंह की कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी मुकाम पर, भौतिक सफलता के बावजूद, मानसिक और आत्मिक शांति की तलाश करना जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए।

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